कर चीनी का त्याग
--सुरेन्द्र बोथरा ‘मनु’
तू कर
चीनी का त्याग,
यार मत
कर चीनी से
प्यार।
दुनिया से छुप-छुप कर
उसने ही
कोविड पाला,
दुनिया में फैला कर हर दिन
रहा हज़ारों मार।
यार मत कर...
मुँह में
राम बगल में
छुरी, उसका ये
ईमान,
हुआ सामना
तो मुस्कावे, करे
पीठ पर वार।
यार मत कर...
समय गया
मीठी बातों का
सौवीं उसकी भूल,
सीना ताने
हर जवान ही
अब बोले यलगार!
यार मत कर...
(यलगार =हमला)
धोखे से
पाजी का धावा,
पडी उसी को
मार,
सीमा पर
होगए शहीद जो,
कर उनका सत्कार
। यार मत कर...
अंधियारे में सीढी
उतरे लेकर चीनी
टार्च,
बुझी टार्च,
गिर पडे और
अब चलने में
लाचार । यार मत कर...
चीनी चाकू
है चमकीला और
दाम भी सस्ता,
एक करेला
काटो तो मिट
जाती उसकी धार
। यार मत कर...
लक्ष्मी की मूरत
थी चीनी, दीवाली
पर पूजी,
दो दिन
में दिख गया
दिवाला, खा घाटे
की मार ।
यार मत कर...
यार मत
कर चीनी से प्यार।
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